Language/Japanese/Culture/Shinto-and-Buddhism/hi
शिंटो धर्म[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
शिंटो धर्म जापान का मूल धर्म है। इसे वैदिक धर्म के साथ तुलना किया जाता है, जो भारत में उत्पन्न हुआ था। शिंटो धर्म में विभिन्न देवताओं, देवीयों और आभूषणों की पूजा की जाती है। यह धर्म एक प्राकृतिक धर्म है जो अपने नियमों और नैतिकताओं के लिए जाना जाता है।
शिंटो धर्म में दो भाग होते हैं - कोजिकी और जिंगूइज्म। कोजिकी एक प्राचीन जापानी लोक कथा है जो जापान की उत्पत्ति, इतिहास और शिंटो धर्म के विकास को बताती है। जिंगूइज्म में शिंटो मंदिर और मैदानों की निर्माण विधियों को वर्णित किया गया है।
शिंटो श्राइन[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
शिंटो श्राइन शिंटो धर्म के मंदिर होते हैं। ये मंदिरों में शिंटो देवताओं की मूर्तियों की पूजा की जाती है। ये मंदिर जापान की बहुत सी स्थानों पर मौजूद हैं, जिन्हें दर्शन करने के लिए लोग आते हैं।
शिंटो श्राइन के अंदर अनेक उपयोगी और रोचक वस्तुएं होती हैं। शिंटो श्राइन में जापानी शिशो ट्री भी होते हैं, जो कि शिंटो धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ट्री शिंटो देवताओं के आवास होते हैं।
शिंटो कला[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
शिंटो कला जापानी कला का एक विशेष शाखा है जो शिंटो धर्म के प्रतिनिधित्व करती है। शिंटो कला में विभिन्न देवताओं, देवीयों और आभूषणों की चित्रण की जाती है। शिंटो कला में बाम्बू, कागज और सिल्क इत्यादि उपयोग किए जाते हैं।
बौद्ध धर्म[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
बौद्ध धर्म जापान में चीन से आया था। यह धर्म शिंटो धर्म के बाद जापान में आया था। बौद्ध धर्म में बुद्ध की पूजा की जाती है। बौद्ध धर्म में मोनास्टिक जीवन और ध्यान की महत्ता होती है।
बौद्ध धर्म का सबसे महत्वपूर्ण चिह्न जापान में 'बौद्ध मुद्रा' है। इसे ध्यान के दौरान किया जाता है और इसे जापानी कला में भी दर्शाया जाता है।
जापानी बौद्ध मंदिर[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
जापान में बौद्ध मंदिरों की संख्या बहुत कम है। ये मंदिर चीनी और भारतीय मंदिरों से थोड़े अलग होते हैं। जापानी बौद्ध मंदिरों में बौद्ध मूर्तियों की पूजा की जाती है। ये मंदिर अपनी खूबसूरत वास्तुकला के लिए भी जाने जाते हैं।
शिंटो और बौद्ध धर्म का प्रभाव[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
शिंटो और बौद्ध धर्म दोनों ही जापान में व्यापक रूप से फैल गए हैं। शिंटो और बौद्ध धर्म के प्रतिनिधि वस्तुएं अक्सर एक साथ दिखाई देती हैं। जापान में शिंटो और बौद्ध धर्म के मंदिरों को एक साथ देखने की आम बात है।
शिंटो धर्म के विश्वासी बौद्ध धर्म के भी अनुयायी होते हैं। दोनों धर्मों में ध्यान की महत्ता होती है। शिंटो धर्म में ध्यान को 'मिसोगी' कहा जाता है। बौद्ध धर्म में ध्यान को 'ज्यूजुत्सू' कहा जाता है।
शिंटो और बौद्ध धर्म दोनों ही जापानी संस्कृति और कला पर अपना प्रभाव डालते हैं। दोनों ही धर्म जापान की संस्कृति में गहरी निहितता लाते हैं।
शब्दावली[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
जापानी | उच्चारण | हिंदी |
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शिंटो धर्म | शिंटो धार्म | शिंटो धर्म |
देवता | देवता | देवता |
मंदिर | मंदिर | मंदिर |
बौद्ध धर्म | बौद्ध धार्म | बौद्ध धर्म |
मुद्रा | मुद्रा | मुद्रा |
ध्यान | ध्यान | ध्यान |